🔴 जन्माष्टमी का महत्व
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि, रात के समय हुआ था। यह समय अंधकार और अन्याय से भरा हुआ था, और श्रीकृष्ण ने धरती पर जन्म लेकर अधर्म का नाश किया। उनका जीवन ज्ञान, प्रेम, करुणा और कर्म का संदेश देता है।
📜 श्रीकृष्ण की जीवन-लीला
बाल-लीलाएं: माखन चोरी, गोपियों संग रासलीला, कालिया नाग का वध
युवा अवस्था: गीता का उपदेश, धर्म की स्थापना
श्रीकृष्ण का चरित्र हर आयु वर्ग के लिए प्रेरणादायक है।
🧘♂️ पूजा विधि और व्रत
🔴1. भक्त उपवास रखते हैं और संध्या के समय पूजा करते हैं।
🔴2. दूध, मक्खन, मिश्री, तुलसी के पत्ते श्रीकृष्ण को अर्पित किए जाते हैं।
🔴3. रात 12 बजे भगवान का जन्म माना जाता है और झूले में उन्हें विराजमान किया जाता है।
🔴4. भजन, आरती और नृत्य से मंदिरों में उत्सव का माहौल रहता है।
🪔 दही हांडी उत्सव
इस दिन महाराष्ट्र और मथुरा जैसे स्थानों पर दही हांडी की परंपरा भी प्रसिद्ध है, जहाँ श्रीकृष्ण के बालरूप में लड़कों की टोली ऊंचाई पर लटकी मटकी को तोड़ती है। यह उत्सव एकता, साहस और मस्ती का प्रतीक है।
🌟 क्या सिखाता है हमें जन्माष्टमी?
धर्म की रक्षा करना
सच्चे प्रेम का महत्व
कर्म करना ही असली पूजा है
संकट में भी मुस्कुराते रहना
🙏 निष्कर्ष
जन्माष्टमी हमें जीवन में सच्चाई, प्रेम और कर्म का मार्ग अपनाने की प्रेरणा देता है। इस दिन हमें भी श्रीकृष्ण के बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए ।
[ जो हुआ अच्छा हुआ, जो हो रहा है वो भी अच्छा है, और जो होगा वो भी अच्छा ही होगा!"
— श्रीकृष्ण, भगवद गीता ]
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